शिक्षक दिवस गुरुओं के सम्मान का दिन, भारत में पांच सितंबर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर इंसान का कोई न कोई गुरू होता है। शिक्षक दिवस एक ऐसा दिन है जब शिष्य अपने सबसे पसंदीदा गुरू को याद करता है। यह दिवस भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के अनेक देशों में मनाया जाता है। यह परंपरा 1962 से चली आ रही है। यहां पर शिक्षक दिवस भारत रत्न और देश के पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के सम्मान में मनाया जाता है। आइए जानते है ऐसे ही कुछ गुरूओं के बारे में
अब्राहम लिंकन
1809 में केंटकी (यूएसए) में जन्में अब्राहम लिंकन ने खुद ही पढ़ना और लिखना सिखा। स्कुल तक नहीं गए। अपने पिता के साथ खेती का काम किया साथ ही एक सफल वकील बनने से पहले उन्होंने कई प्रकार की नौकरियां की और धीरे-धीरे राजनीति की और मुड़े। 1860 में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति चुने गए थे। देश में गुलामी की प्रथा की समस्याएं चल रही थी, दक्षिणी राज्यों के लोग गुलामी के उन्मूलन के खिलाफ थे। लिंकन को कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। पर वह किसी भी कीमत पर देश की एकता की रक्षा करना चाहता थे। अंत में उत्तरी और दक्षिणी राज्यों के बीच एक नागरिक युद्ध छिड़ गया। उन्होंने युद्ध बहादुरी से लड़ा और घोषणा की, ‘एक राष्ट्र आधा दास और आधा बिना दास नहीं रह सकता वह युद्ध जीत गए और देश एकजुट रहा। वह किसी के भी खिलाफ नहीं थे। वे चाहते थे की सब लोग शांति से जीवन बिताये। 1862 में लिंकन ने घोषणा की थी अब सभी दास मुक्त होगे.. इसी से ही लिंकन लोगो के बीच लोकप्रिय और आदर्श बन गए।
मदर टेरेसा
एक आम भारतीय के जहन में ‘मदर टेरेसा’ की ये तस्वीर उस बेमिसाल सेवा का प्रतीक है, जिसने दीन-दुखियारों के दुख को अपना दुख बना लिया। 1910 में युगोस्लाविया में जन्मी मदर टेरेसा 1929 में भारत आकर कोलकाता में बस गई थीं। साल 1950 में उन्होंने मिशनरीज ऑफ चैरिटी की स्थापना की और इसके जरिए उन्होंने गरीबों और कुष्ठ रोगियों की जो सेवा की उसकी मिसाल बहुत कम मिलती है। साल 1979 में उन्हें शांति का नोबल पुरस्कार मिला।
ऐसी महिला जिसने जन्म के बाद होश संभालते ही दूसरों के लिए जीना शुरू कर दिया। जिसने अपनी जिंदगी का हर एक पल दूसरों के नाम कर दिया। 73 साल की उम्र तक बिना रुके बिना थके वो गरीबों और कुष्ठ रोगियों के बीच प्यार लुटाती रहीं। उन्होंने जो किया वह इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज हो गया। मदर टेरेसा एक महान देवी थी। आज भी समाज के हर तबके में उनके सेवाभाव को आदर्श मानने वाले लोग मौजूद हैं।
बिल गेट्स
28 अक्तूबर 1955 को सीटल (वाशिंगटन) में जन्में बिल गेट्स का पूरा नाम विलयम हेनरी गेट्स। उनके पिताजी एक प्रसिद्ध वकील थे। माता-पिता ने शुरू में उनके लिए वकील का करियर चयन किया था। 13 वर्ष की उम्र में उन्होनें लेकसाईड स्कूल में प्रवेश लिया। उस समय लेकसाईड स्कूल ने कम्प्युटर खरीदा। बिल ने BASIC programming language में काफी रूचि दिखाई, वे अपना ज्यादातर समय computer lab में ही बिताते थे। सॉफ्टवेयर की दुनिया में अपना करियर बनाया। जिनकी सालाना निजी कमाई (वेतन और निवेश से) करीब 8 अरब डॉलर है यानी रोजाना दो करोड़ डॉलर से ज्यादा, हर मिनिट 16 हजार और हर सेकण्ड 250 डॉलर से भी ज्यादा !
बिल गेट्स दुनिया के सबसे अमीर लोगों में हैं। वे महादानी भी हैं। आज वे IT sector से जुड़ें प्रत्येक व्यक्ति के आदर्श बन गए हैं। शुरूआत में तो बिल गेट्स ने छोटे-छोटे प्रोग्राम बनाए और 80-90 के दशक में Windows operating system की शुरूआत हुई। बिल की जीवनी से एक बात तो साफ जाहिर है कि आपका सपना चाहे कितना ही बड़ा क्यों न हो, शुरूआत हमेशा छोटे छोटे कदमों से ही करें।
रतन टाटा
रतन टाटा ऐसे भारतीय उद्योगपति हैं, जिनका दुनिया में बहुत सम्मान है। उनके नेतृत्व में टाटा ग्रुप ने वेल्थ क्रिएशन में दुनिया के टॉप 50 बिजनेस समूह में जगह बनाई है। उन्होंने टाटा समूह को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया है। रतन टाटा ने 1962 में टाटा समूह के साथ अपना करियर प्रारंभ किया। रतन टाटा 1991 में जेआरडी टाटा के बाद समूह के पांचवें अध्यक्ष बने। रतन टाटा ने नैनो जैसी लखटकिया कार बनाकर आम आदमी का कार का सपना साकार किया। वे इंडिका जैसी कार भी बाजार में लाए। रतन टाटा को 2000 में पद्मभूषण और 2008 में पद्मविभूषण से सम्मानित किया गया। वह पूरे कॉरपोरेट जगत के लिए आदर्श है।
सचिन तेंदुलकर
24 अप्रैल 1973 में जन्में क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर विश्व के सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाजों में गिने जाते हैं। भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित होने वाले वह सर्वप्रथम खिलाड़ी और सबसे कम उम्र के व्यक्ति हैं। सन् 2008 में वे पद्म विभूषण से भी पुरस्कृत किये जा चुके है। सचिन क्रिकेट जगत के सर्वाधिक प्रायोजित खिलाड़ी हैं और विश्व भर में उनके अनेक प्रशंसक हैं। दुनिया में कई क्रिकेटर्स सचिन को अपना आदर्श गुरू मानते हैं। क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने कहा भी था कि जब भी सचिन मैदान पर आते तो वो हमेशा सभी क्रिकेटरों में सुधार करने की कोशिश ही करते । किसी भी खिलाड़ी को अगर अच्छा करना है तो उसे सचिन के करियर को देखना चाहिए। वो किसी के लिए भी सबसे अच्छे प्रेरणा के स्त्रोत हैं।