देश में उन लोगों का ट्रांसफर पहले होता है जो कुछ अच्छा करने के लिए कड़ा कदम उठाते है। देश में हर साल तकरीबन 64,000 करोड़ रूपए की बिजली चोरी हो रही है। इन बिजली के घोटाले को रोकने के लिए डिजिटल स्मार्ट मीटर लगा दिए। ये मीटर बिजली खपत को डिजिटली रिकॉर्ड करते है। इससे बिजली वितरण प्राणाली में पल-पल हो रहे घपले उजागर हो रहे है। हम बात कर रहे है आईएएस रितु माहेश्वरी की। रितु नौकरशाही सरकारी खजाने को हो रहा इतना बड़ा नुकसान रोकने के लिए इस काम में जुटी है। साल 2011 में उनकी नियुक्ति कानपुर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कंपनी में हुई थी। इसके बाद उनका ट्रांसफर डिस्ट्रिक्ट मेजिस्ट्रेट के तौर पर गाजियाबाद में हो गया।
करीब 6 साल से भ्रष्टाचार और स्त्री विरोधी माहौल के खिलाफ जंग लड़ रही 39 साल की रितु बड़े पैमाने पर हो रही बिजली चोरी को रोकने के लिए टेक्नोलॉजी की जरूरत पर जोर दे रही हैं। रितु ने बताया कि, ‘मैंने बिजली चोरी करने वाले ग्राहकों के विरोध के बावजूद 5 लाख में से 1 लाख 60 हजार मीटर बदल दिए।’ इससे शहर में बिजली चोरी की घटना बहुत कम हो गई जो पहले 30 प्रतिशत थी।’ लेकिन अपने इस अभियान से रितु बड़े-बड़े लोगों की नजरों में भी आ गई। इसके बाद उन्हें धमकियां मिलने लगी है। यहां तक की अपने ही स्टाफ के लोग बिजली चोरी की जांच की योजना पहले ही लीक कर देते थे। इससे बिजली चोर सर्च टीम के पहुंचने के पहले ही अवैध कनेक्शन उतार लेते।
मुझे मूर्ख बनाना आसान नहीं है
रितु ने बताया कि, ‘इस स्मार्ट मीटर से स्टाफ के सभी लोग नाखुश थे। हमारे लोग ही बिजली चोरों को पहुंचने से पहले राज़ बता देते थे। लोगों को लगा कि महिला को आसानी से मूर्ख बनाया जा सकता है या बहकाया जा सकता है, और महिला होने के नाते कहा बिजली और जटिल ग्रीड्स के बारे में कुछ पता होगा। यह लोगों की सोच है।’
2000 में पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से ग्रैजुएशन किया
2003 में आईएएस जॉइन करने के बाद जुलाई 2017 तक वह केंद्र सरकार के बिजली मंत्रालय के अधीन ग्रामीण विद्युतीकरण निगम की कार्यकारी निदेशक रहीं। इस दौरान वह उस कार्यक्रम से जुड़ी रहीं जिसका मकसद अन्य माध्यमों के साथ-साथ तकनीक के इस्तेमाल से साल 2019 तक कुल टेक्निकल और कमर्शल लॉस घटाकर औसतन 15 प्रतिशत पर लाना है, ताकि बिजली वितरण कंपनियों को घाटे से उबारा जा सके। पिछले सप्ताह उन्हें गाजियाबाद का डीएम बनाया गया।
1 प्रतिशत लॉस की कमी से 12 हजार करोड़ रूपए बच सकते है
गौरतलब है कि बिजली वितरण कंपनियां और सराकरे डिजिटाइजेशन पर जोर दे रही है। मार्च 2018 से एक साल के अंदर 2.5 लाख स्मार्ट मीटर लगाने का लक्ष्य है। वहीं दूसरी और उत्तर प्रदेश और हरियाण की सरकार ने 50 लाख स्मार्ट मीटर खरीदने का पहला टेंडर निकाल चुकी है। आपको बता दें कि मोदी सरकार ने पांच सालों में पावर ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन इंडस्ट्री में करीब 3 लाख 30 हजार करोड़ रूपये निवेश करने पर विचार किया था। भारत में अब तक कुल बिजली खपत के महज 10 प्रतिशत हिस्से का ही डिजिटाइजेशन हो पाया है। सूत्रों के मुताबिक ग्रामीण इलाकों में बिजली कंपनियों का ट्रांसमिशन और कर्मशल लॉस 25 से 30 प्रतिशत है, जिसमें 1 प्रतिशत की भी कटौती हो जाए तो करीब 12 हजार करोड़ रूपये बच सकते है।’